नयी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार की रात को करीब 9 बजकर 55 मिनट पर यात्रियों के बीच भगदड़ मच गयीऔर इस हादसे में 18 लोगो की मौत हो गयी जिसमे 10 महिला और 3 बच्चे शामिल है। वही बात करे हादसों के कारणों की तो मिली जानकारी में सामने आया है कि नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से प्रतिदिन शाम को आठ बजे के बाद प्रयागराज के लिए अधिकतर ट्रेनें रवाना होती हैं। ये ट्रेन प्लेटफार्म नंबर 12 से लेकर प्लेटफार्म नंबर 16 के बीच के सभी प्लेटफार्म पर से रवाना की जाती हैं। लगभग शाम आठ बजे से जब ट्रेन जाने का सिलसिला शुरू होता है, इसके पहले से ही प्लेटफार्म पर भीड़ भी बढ़ने लगती है। रेलवे स्टेशन के जानकारों की मानें तो पिछले कुछ दिनों से नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर से प्रयागराज जाने वालों की भीड़ लगातार बढ़ रही है। ठीक उसी तरह शनिवार को भी शाम से ही स्टेशन पर भीड़ लगातार बढ़ रही थी मगर वहां पर न तो रेलवे की तरफ से और न ही रेलवे पुलिस की तरफ से सुरक्षा के कोई इंतजाम थे। जिसके बाद नई ट्रेन की घोषणा के बाद भगदड़ मच गई. बता दे शुरुआती जांच में सामने आया है कि ट्रेनों में तेजी से भीड़ का दबाव बढ़ रहा था। नई ट्रेन की घोषणा से यात्री प्लेटफार्म 16 पर जाने के लिए भागने लगे. जिसके बाद ये हादसा हुआ।
हालांकि इन प्लेटफार्म पर इक्का-दुक्का ही पुलिस वाले नजर आ रहे थे, जबकि जिस तरह से भीड़ वहां बढ़ रही थी उस हिसाब से हर प्लेटफार्म पर कम से कम 30 से 40 पुलिसकर्मी तैनात होने चाहिए थे। इस हादसे में घायल हुए यात्री मदद के लिए इधर-उधर भटक रहे थे, तो दूसरी तरफ घायल दर्द से चीख रहे थे। अपनों को अस्पताल पहुंचाने के लिए स्वजन मददगार ढूंढ रहे थे। लेकिन, आलम यह था कि उन्हें न तो मदद के लिए जवान मिल रहे थे और न ही कहीं एंबुलेंस मिली। ऐसे में कोई पैदल तो कोई निजी वाहनों से अपनों को अस्पताल पहुंचाने की कोशिश में जुटा हुआ था। ये हालात तब थे, जबकि प्रयागराज जाने वाली ट्रेनों को लेकर स्टेशन पर पिछले कुछ दिनों से लगातार भीड़ बढ़ रही थी। लापरवाही का आलम यहां तक था कि भगदड़ से घायल हुए लोगों को अस्पताल ले जाने के लिए भी कोई इंतजाम नहीं थे, जिससे कई लोग समय पर अस्पताल नहीं पहुंच सके। अब इस हादसे के बाद एक बार फिर राजनीति गरमा गयी है और बयानबाजी का सिलसिला शुरू हो गया है।