उत्तराखंड में जातिवाद इतना बढ़ गया है कि अब उसकी चिंगारी गली मोहल्ले से निकलकर विधानसभा तक पहुंच गई है। दरअसल उत्तराखंड का बजट सत्र चल रहा है और हर दिन कोई न कोई हंगामा हो रहा है। ठीक उसी तरह कल बजट सत्र के चौथे दिन सदन में पहाड़ी देशी का मुद्दा गर्माता हुआ दिखाई दिया। बता दे कल वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल जब किसी सवाल का जवाब दे रहे थे, तभी कांग्रेस विधायक मदन बिष्ट ने ‘पहाड़ी’ शब्द का इस्तेमाल कर तंज कसा, जिसके बाद मंत्री का गुस्सा बढ़ गया और सदन में शब्दों की तीखी अदला-बदली हुई। यह मुद्दा उस समय और अधिक गर्मा गया जब मंत्री अग्रवाल ने आरोप लगाया कि उन्हें उनके अग्रवाल होने के कारण निशाना बनाया जाता है। दरअसल राज्य विधानसभा के बजट सत्र के दौरान सदन में ये स्थिति तब उत्पन्न हुई जब संसदीय कार्य मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल शून्य काल में कांग्रेस सदस्य मनोज तिवारी द्वारा जिला स्तरीय विकास प्राधिकरणों में भ्रष्टाचार के कारण लोगों को हो रही परेशानी के संबंध में उठाए गए काम रोको प्रस्ताव का जवाब दे रहे थे।इसी दौरान, कांग्रेस की ओर से अग्रवाल के बारे में कोई टिप्पणी की गयी जिस पर वो उत्तेजित हो गए और कहा, ”क्या हमने इसी दिन के लिए आंदोलन कर उत्तराखंड मांगा था कि पहाड़ी और देसी को लेकर टिप्पणियां की जाएं।”
अग्रवाल ने आरोप लगाया कि विपक्षी सदस्य राज्य को विखंडन की स्थिति में ले जाना चाहते हैं और विपक्ष की ओर से बार-बार ऐसी टिप्पणियां किए जाने का आरोप लगाते हुए मंत्री ने नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य से अपने साथियों को इस बारे में समझाने को कहा। हालांकि अग्रवाल को आक्रोशित होते देखकर कांग्रेस के अन्य सदस्य भी जोर-जोर से बोलते हुए अपने स्थानों पर खड़े हो गए और कहा कि ऐसा कुछ भी नहीं कहा गया है तथा मंत्री बिना वजह बात को तूल दे रहे हैं। थोड़ी देर तक सदन में इस बात को लेकर हंगामा होता रहा। जिसपर कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने कहा, ”हम लोग इस तरह से व्यवहार कर रहे हैं जैसे हम चौराहे पर खड़े हुए हैं।” उन्होंने सदन को मंदिर बताते हुए सदस्यों को इस प्रकार का व्यवहार न करने की नसीहत देते हुए कहा कि ऐसी टिप्पणियां बहुत दुर्भाग्यपूर्ण हैं। ”उत्तराखंड के लिए हम सबने लड़ाई लड़ी है और हम सब उत्तराखंड के लोग हैं। हम पहाड़ी, देसी नहीं हैं, बल्कि हम उत्तराखंड के लोग हैं।’
दरअसल, ये विवाद नया नहीं हैं। बल्कि 18 फरवरी को, राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान मदन बिष्ट ने विरोध जताया था, जिसके बाद मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने उन पर शराब पीकर सदन में आने का आरोप लगाया। इसके बाद, विधायक बिष्ट ने मंत्री पर पहाड़ी विधायक का अपमान करने का आरोप लगाया, जिससे दोनों के बीच नाराजगी और बढ़ गई थी। हालांकि ये सोचने वाली बात है की जिस जगह उत्तराखंड के भविष्य के बारे में बात होनी चाहिए, युवाओं को रोजगार देने की बात होनी चाहिए, महिलाओं की सुरक्षा की बात होनी चाहिए वहाँ विधायक ऐसे बच्चो की तरह लड़ रहे है और रोज सदन के नए हंगामे सामने आ रहे है। लेकिन अब ये मामला सदन से निकल कर सड़को तक पहुंच गया है और लोग प्रेम चंद्र अग्रवाल का इस्तीफा मांग रहे है। आपको क्या लगता है की उत्तराखंड जिसे देवो की भूमि और शांत वातावरण के नाम से जाना जाता है वहाँ देशी पहाड़ी के नाम पर लड़ना कितना सही है अपनी राय हम्हे कमेंट बॉक्स में जरूर बताये।