हल्द्वानी में पारा पंहुचा 42 पार, हीट वेव से मरीजों की संख्या में हुई बढ़ोतरी

By New31 Uttarakhand

देशभर में भीषण गर्मी का कहर लगातार जारी है। साथ ही उत्तराखंड में भी पारे की तपिश ने जीवन मुहाल कर दिया है। वही बात करे हल्द्वानी की तो हल्द्वानी में शुक्रवार को तापमान 42 डिग्री के करीब पहुंच गया। आपको बता दे लगातार बढ़ती गर्मी से मूर्छित होकर अस्पताल पहुंचने वालो की संख्या में भी बढ़ोतरी हो रही है। दरअसल डॉ सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय से लेकर बेस अस्पताल व निजी अस्पतालों में हर दिन 10 से 20 मरीज पहुंच रहे है। डॉक्टरों की सलाह है की शरीर में पानी की कमी न होने दे और जरुरी होने पर ही धुप में निकले। साथ ही एसटीएच के मेडिसिन विभाग में ही शुक्रवार को 280 मरीज पहुंचे। जिनमे से 25 से 30 मरीज ऐसे थे, जिन्हे गर्मी की वजह से किसी न किसी तरह की परेशानी थी। जैसे सिर दर्द, चक्कर आना, बीपी कम हो जाना आदि। ठीक इसी तरह बेस अस्पताल में भी फिजिशियन से लेकर इमरजेंसी में इसी तरह के मरीज पहुंच रहे है।

वही देश के एक बड़े हिस्से में अत्यधिक गर्मी या लू का प्रकोप जारी है। दरअसल इस बार अत्यधिक गर्मी का यह दौर लम्बा और आसामान्य है। दिन का तापमान रोज नए रिकॉर्ड बना रहा है साथ ही दिल्ली, बिहार, ओडिशा, और गुजरात सहित कई राज्यों में लू की वजह से मौत हो रही है। आइये जानते है की लू ज्यादा घातक क्यों होती जा रही है?

दरअसल कंक्रीट से बने स्ट्रक्चर जैसे बिल्डिंग, सड़के, फुटपाथ और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर वृक्षों और नदी तालाबों की तुलना में सूरज की गर्मी को अवशोषित करके ज्यादा गर्मी उत्पन्न करते है। जिन शहरों में ये स्ट्रक्चर ज्यादा सघन है और हरयाली कम है, वे शहर आस पास के इलाको और हरियाली वाले क्षेत्रों की तुलना में अधिक तापमान वाले आइसलैंड बन जाते है। जिसे अर्बन हीट आइसलैंड इफ़ेक्ट कहा जाता है। साथ ही शहरीकरण और ग्रीन कवर यानी हरियाली वाले क्षेत्र घटने से शहर ज्यादा गर्म हो रहा है जिससे नमी भी अधिक रह रही है। वही जब गर्मी ज्यादा होती है तो पसीना भी जरुरत से ज्यादा बहने लगता है। इससे शरीर में सोडियम की कमी होने लगती है। इस स्थिति में शरीर में पानी की कमी भी हो जाती है और डिहाइड्रेशन होने लगता है। साथ ही ब्रेन का सिग्नल सिस्टम भी खराब होने लगता है और इससे इंसान बेहोश हो जाता है। वही कुछ मामलो में ब्रेन डैमेज तक हो सकता है जिससे मौत हो जाती है। इसलिए ये गरीबो के लिए ज्यादा खतरनाक है क्युकी उनके पास ऐसी सुविधाएं नहीं है जिससे उनको गर्मी से होने वाली थकान से राहत मिल सके।

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