इस धार्मिक मान्यता अनुसार मनाया जाता है रक्षाबंधन

By New31 Uttarakhand

सावन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को हर साल रक्षा बंधन का पवित्र पर्व मनाया जाता है, इस बार यह शुभ तिथि 19 अगस्त दिन सोमवार को है। रक्षा बंधन का पर्व भाई-बहन के रिश्तों की अटूट डोर का प्रतीक है। इस दिन बहनें पूजा अर्चना करके भाइयों की कलाइयों पर राखी बांधती हैं और उनके स्वस्थ व सफल जीवन की कामना करती हैं। वहीं भाई बहनों की रक्षा और हर परिस्थिति में मदद के लिए तैयार रहने का वचन देते हैं। लेकिन इस बार रक्षा बंधन पर भद्रा का साया भी रहने वाला है, पंचाग के अनुसार, भद्रा 18 अगस्त की अर्धरात्रि में 2 बजकर 21 मिनट से लग जाएगी। यह दूसरे दिन यानी 19 तारीख को दोपहर 1 बजकर 24 मिनट तक रहेगी। इस समयावधि के बाद ही राखी बांधना सर्वश्रेष्ठ रहेगा। एक कथा के अनुसार, जब सुदर्शन चक्र से भगवान श्रीकृष्ण ने शिशुपाल का वध किया तो उनकी उंगली कट गई थी, जिससे रक्त बहने लगा था।

यह देख द्रौपदी ने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर श्रीकृष्ण की उंगली पर बांध दिया था। उसी क्षण श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को अपनी बहन मान लिया और आजीवन उसकी रक्षा करने का वचन दिया. श्रीकृष्ण ने द्रौपदी से कहा, जिस समय भी वह स्वयं को संकट में पाएं, उन्हें याद कर सकती हैं। जब भारी राजसभा में द्रौपदी का चीरहरण किया जा रहा था और द्रौपदी की साड़ी उतारने का प्रयास किया जा रहा था, तब द्रौपदी ने अपनी आंखें बंद की और भाई श्रीकृष्ण को याद किया। बहन द्रौपदी का आह्वान सुनकर श्रीकृष्ण ने अपनी शक्ति से उसकी लाज बचाई। श्रीकृष्ण ने अपनी शक्ति से द्रौपदी की साड़ी को इतना बड़ा कर दिया कि दुशासन साड़ी खींचते-खींचते थक गया और बेहोश हो गया। राजदरबार में साड़ी का ढ़ेर लग गया, लेकिन द्रौपदी की साड़ी कृष्ण की लीला से समाप्त नहीं हुई। इस तरह से श्रीकृष्ण ने अपने दिए वचन से बहन द्रौपदी की लाज बचाई और रक्षा का दायित्व निभाया। तभी से रक्षा बंधन का त्यौहार बड़े ही प्रेम क साथ मनाया जाता हैं।

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