हल्द्वानी के हीरानगर स्थित पर्वतीय सांस्कृतिक उत्थान मंच में पिछले करीब 45 वर्षों से धूमधाम से 14 जनवरी को उत्तरायणी पर्व मनाया जाता है। हालांकि 7 जनवरी से मेला शुरू हो जाता है। मंच के अध्यक्ष ने बताया कि युवा पीढ़ी को कुमाऊंनी त्योहारों व संस्कारों से जोड़े रखने के लिए मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले का उद्देश्य है कि ज्यादा से ज्यादा युवाओं को कुमाऊंनी संस्कृति के बारे में बता सके। इस बार बागेश्वर की कमला देवी भी मेले में आकर अपनी प्रस्तुती देंगी। मंच के अध्यक्ष खड़क सिंह बगडवाल ने बताया कि मेले का शुभारंभ 7 जनवरी बीते दिन श्री गोलज्यू पूजन के साथ किया गया। 9 दिवसीय मेले में रोजाना कई प्रतियोगिताएं व सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।
14 जनवरी को भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी. झांकी में झोड़ा, चाचरी, छपेली, कुमाऊंनी संस्कृति समेत स्थानीय सांस्कृतिक कार्यक्रम देखने को मिलेंगे। मेले मे 9 दिन स्टार नाइट होगी। जिसमें उत्तराखंड के फेमस कलाकारों को बुलाया जाएगा।मेले से पहाड़ी दालें, मसालें, जड़ी-बूटियां व गर्म कपड़ों की सस्ते दामों में खरीदारी की जा सकती है। आपको बता दे यह मेला न सिर्फ कुमाऊं की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है, बल्कि स्थानीय कला, संगीत और परंपराओं को नई पीढ़ी से जोड़ने का प्रभावी माध्यम भी है। 15 जनवरी तक चलने वाले कौतिक की पर्वतीय सांस्कृतिक उत्थान मंच हीरानगर में तैयारियां पूरी हो गई है। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से मेले में इस बार 50 फीसदी स्टाल महिला समूहों को दिए गए हैं।